डीप ओशन मिशन | Deep Ocean Mission | नीली अर्थव्यवस्था (Blue Economy)

मानव के लिए हमेशा से समुद्र के बारे में जानकारी प्राप्त करना उत्सुकता का केंद्र रहा है। स्थलमंडल से अधिक जैव पारस्थिकी समुद्र के गहरे स्थल में समाहित है, और स्थलमंडल से अधिक ऑक्सीजन का उत्पादन जलमंडल में स्थिति जैविक राशियां वर्तमान समय में कर रही है, और खनिज संपदाओ से समुद्र भरा हुआ है। और हाल ही में भारत सरकार के पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय द्वारा गहरे समुद्र में खोज हेतु डीप ओशन मिशन (Deep Ocean Mission) की शुरुआत की गयी है। यदि आप इस योजना के बारे में यदि विस्तार से जानना चाहते हैं तब आप इस पोस्ट को ध्यान से पढ़े।

डीप ओशन मिशन क्या है

इस योजना की शुरुआत 2018 में भारत सरकार द्वारा किया गया था और इस योजना के माध्यम से गहरे समुद्र में खोज करना है और इस  मिशन के माध्यम से भारत की समुद्री सीमा के भीतर समुद्री जीवन, खनिज,  तथा ऊर्जा आदि का अनुसन्धान करना है। यह योजना एक तरह से भारत सरकार की ब्लू इकॉनमी पहल का समर्थन करने हेतु है और यह एक मिशन मोड प्रोजेक्ट है। और ब्लू इकॉनमी (Blue Economy) आर्थिक विकास वर्तमान समय में बेहतर आजीविका तथा रोज़गार और स्वस्थ महासागर पारिस्थितिकी तंत्र के लिये समुद्री संसाधनों का सतत् उपयोग करने पर जोर देगी।

डीप ओशन मिशन की विशेषता

इस योजना की शुरुआत ब्लू इकोनॉमी  में बढ़ोतरी करने के लिए किया गया है ताकि भारत की अर्थव्यवस्था मजबूत हो सके, तथा इस योजना की मुख्य विशेषता निम्न है–

  • इस योजना के माध्यम से गहरे समुद्र में ऊर्जा, खनिज व जैव विविधता की खोज के लिए 4077 करोड़ रुपए भारत सरकार द्वारा आवंटित किया गया है।
  • इस मिशन को 5 वर्षो के लिए मंजूरी दिया गया है और इसका नोडल मंत्रालय केंद्रीय पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय है।
  • इस मिशन को दो चरण में पूरा किया जाएगा, पहले चरण तीन वर्ष 2021 से 2024 तक है, और दूसरा चरण 2024 से 2026 तक रहेगा।
  • वर्तमान समय में इस योजना के माध्यम से 6 हजार मीटर नीचे पाए जाने वाले खनिजों के बारे में अध्ययन तथा सर्वेक्षण का काम किया जा रहा है।
  • इस योजना के माध्यम से तकनीकी विकास कार्यों को महासागर सेवा, प्रौद्योगिकी, अवलोकन, संसाधन मॉडलिंग व विज्ञान के माध्यम से वित्तपोषित किया जायेगा।
  • ब्लू इकोनॉमी को मरीन अर्थव्यवस्था, तटीय अर्थव्यवस्था तथा महासागरीय अर्थव्यवस्था आदि के नाम से जानते है।

डीप ओशन मिशन का उद्देश्य

राष्ट्रीय महासागर प्रौद्योगिकी संस्थान (NIOT) के पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के तहत एक स्वायत्त संस्थान है, जो कि इस योजना का संचालन कर रही है। और इस योजना का मुख्य उद्देश्य निम्न है–

  • इस योजना के माध्यम से 3 लोगों को समुद्र में 6,000 मीटर की गहराई तक लेकर जाना है और इसके लिये वैज्ञानिक सेंसर तथा उपकरणों के साथ एक मानवयुक्त पनडुब्बी विकसित किया जाएगा।
  • राष्ट्रीय महासागर प्रौद्योगिकी संस्थान और इसरो संयुक्त रूप से पनडुब्बी विकसित कर रहा है, जिसे मानवयुक्त सबमर्सिबल वाहन कहते है।
  • इस योजना के माध्यम से मध्य हिंद महासागर में पॉलीमेटेलिक नोड्यूल्स के खनन के लिये एकीकृत प्रणाली विकसित किया जा रहा है।
  • इस योजना का उद्देश्य महासागर जलवायु परिवर्तन सलाहकार सेवाओं का विकास करना है, ताकि जलवायु परिवर्तनों को समझा जा सके और इसे निपटने के लिए तैयारी कर सके।
  • इस योजना का लक्ष्य गहरे समुद्र में जैव विविधता की खोज तथा संरक्षण के लिये तकनीकी नवाचार को अपनाना है।

डीप ओशन मिशन का लाभ

  • इस योजना के माध्यम से अपतटीय महासागर थर्मल ऊर्जा रूपांतरण (OTEC) का अध्ययन किया जा सकता है और इसके लिए विस्तृत इंजीनियरिंग डिजाइन तैयार किया जा रहा है।
  • इस योजना के माध्यम से मध्य हिंद महासागर में बहु-धातु हाइड्रोथर्मल सल्फाइड खनिज के संभावित स्थल का पता लगाया जा सकेगा।
  • अब महासागरीय जीव विज्ञान तथा इंजीनियरिंग में मानव क्षमता तथा उद्यम का विकास आसानी से होगा।
  • भारत ब्लू ओसन में तकनीकी विशेषज्ञता रखने वाला छठा देश है, और इससे पहले तकनीक और विशेषज्ञता वर्तमान में केवल पाँच देशों अमेरिका, रूस, फ्रांँस, जापान व चीन के पास है।

ब्लू इकोनॉमी को मजबूत करने के लिए चलाई जा रही योजनाएं

भारत एक विस्तृत राष्ट्र है और हमारी अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाने के लिए हर संभव कोशिश की जा रही है, और हाल ही में ब्लू अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाने के लिए भारत सरकार द्वारा निम्न योजनाएं चलाई जा रही है–

  • सागरमाला परियोजना : इस योजना के माध्यम से सम्पूर्ण भारत के समुद्रीय तटों में स्थित बंदरगाहों के आधुनिकीकरण के लिये आईटी-सक्षम सेवाओं के व्यापक प्रयोग के द्वारा बंदरगाह के विकास हेतु रणनीतिक पहल की जा रही है।
  • ओ-स्मार्ट (O-SMART) : यह एक अम्ब्रेला योजना है और इस योजना का उद्देश्य सतत् विकास के लिये महासागरों व समुद्री संसाधनों का विनियमित रूप से प्रयोग करना है।
  • एकीकृत तटीय क्षेत्र प्रबंधन योजना के माध्यम से तटीय तथा समुद्री संसाधनों का संरक्षण करना है और तटीय समुदायों के लिये आजीविका के लिए अवसर उपलब्ध कराना है।
  • राष्ट्रीय मत्स्य नीति योजना के तहत भारत में समुद्री तथा अन्य जलीय संसाधनों से मत्स्य संपदा के सतत् प्रयोग पर ध्यान केंद्रित करना है और जितना जल्दी हो सके ‘ब्लू ग्रोथ इनिशिएटिव’ को बढ़ावा देना है।

डीप ओशन मिशन का महत्व

  • महासागरीय संसाधनों का लाभ उठाना है और अबतक महासागरों के गहराई में स्थित लगभग 95% से अधिक हिस्सा ऐसा है जिसका अब तक परीक्षण और अन्वेषण नही हुआ है, जबकि महासागर विश्व की 70% क्षेत्र को कवर करती है।
  • भारत तीन ओर से समुद्र से घिरा हुआ है, अरब सागर , हिन्द महासागर व बंगाल की खाड़ी है, ऐसे में भारत के पास तीन अलग अलग क्षेत्र में जल संसाधन है, ऐसे में हमारे पास जैव विविधता, समुद्री परिस्थितियों व अनुसन्धान आदि के अनेक अवसर वर्तमान समय में है।
  • भारत में 7,517 किमी. लंबी समुद्री तटरेखा और 9 तटीय राज्यों व 1,382 द्वीप है, और यहां के लगभग 30% आबादी प्रत्यक्ष रूप से जल संसाधन पर निर्भर है।
  • भारत सरकार के लक्षित 2030 के मुख्य उद्देश्य में से एक ब्लू इकोनॉमी निर्भरता को बढ़ावा देना है।
  • समुद्री अनुसंधान कार्य के लिए विशेष उपकरणों, जहाजों के डिजाइन, विकास , निर्माण व  आवश्यक बुनियादी ढांचे की स्थापना किया जा रहा है।

वर्तमान समय में भारत सरकार के द्वारा भारत को विकसित और सम्पन्न बनाने के लिए हर संभव कोशिश की जा रही है, और ब्लू इकोनॉमी को मजबूत करने के लिए भारत सरकार द्वारा डीप ओशन मिशन का संचालन किया जा रहा है, इसके मदद से समुद्री की गहराई में स्थित संसाधनों का पता लगाना है और खनिज संपदा के बारे में अनुसंधान करना है। डीप ओशन मिशन (Deep Ocean Mission) ब्लू इकोनॉमी के लिए एक वरदान साबित होगा और भविष्य में ब्लू इकोनॉमी में ग्रोथ देखने को मिलेगा।

FAQ

भारत के प्रथम मानवयुक्त महासागर मिशन का नाम क्या है?

हाल ही में भारत सरकार ने अपना पहला मानवयुक्त महासागर मिशन ‘समुद्रयान’ लॉन्च किया है तथा समुद्रयान परियोजना डीप ओशन मिशन का ही भाग है और इसका क्रियान्वन राष्ट्रीय महासागर प्रौद्योगिकी संस्थान (NIOT) द्वारा किया गया है।

पॉलीमेटेलिक नोड्यूल्स क्या हैं?

समुद्री तल में गर्म मैग्मा के वजह से तरल पदार्थ से बना अवक्षेप पॉलीमेटेलिक नोड्यूल्स कहलाता है और इनका छोटे गोल आलू की तरह होता है जो कि मैंगनीज़, निकेल, कोबाल्ट, तांबा व लोहे के हाइड्रॉक्साइड आदि खनिजों से निर्मित होता हैं।

भारत का दीप महासागर मिशन क्या है?

2018 में भारत सरकार के पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय ने डीप ओशन मिशन (DOM) लॉन्च किया था, और मौजूद समय में DOM भारत सरकार की ब्लू इकोनॉमी पहल का समर्थन करने वाली एक मिशन मोड प्रोजेक्ट है।

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